वासंतिक नवरात्रि के प्रथम दिन से हिन्दूओं का नववर्ष प्रारंभ : पंडित वेद मूर्ति शास्त्री
22 मार्च से 30 मार्च तक वासंतिक नवरात्र का महापर्व मनाया जाएगा प्रथम दिन कलश स्थापना से भगवती का उपासना की जाएगी इस बार विक्रम संवत 2080 राजा बुध व मंत्री शुक्र होंगे वहीं इस बार मां भगवती नौका पर सवार होकर आ रही है पुरे नौ दिनों तक चलने वाला साधना का महापर्व विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्विद् पं वेद मूर्ति शास्त्री जी ने बताया किस प्रकार पूजन अर्चन करने से मिलेगी शिघ्र मां दुर्गा की असीम कृपा क्या है शास्त्रोक्त विधि घटस्थापना का ।। सर्वप्रथम शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना
घट स्थापन शुभ अभिजित मुहूर्त :
प्रात: 9:36 से 12:42 पूरा दिन में किसी समय भी कर सकते हैं घट स्थापन
कैसे करें कलश स्थापना जानें?
जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी पात्र में बोने के लिए जौ घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल, मोली साबुत सुपारी कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के अशोक या आम के 5 पत्ते कलश ढकने के लिए ढक्कन ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल पानी वाला नारियल नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा फूल माला
विधि
सबसे पहले जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें। इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब एक परत जौ की बिछाएं। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब फिर एक परत जौ की बिछाएं। जौ के बीच चारों तरफ बिछाएं ताकि जौ कलश के नीचे न दबे। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब कलश के कंठ पर मोली बाँध दें। अब कलश में शुद्ध जल, गंगाजल कंठ तक भर दें। कलश में साबुत सुपारी डालें। कलश में थोडा सा इत्र दाल दें। कलश में कुछ सिक्के रख दें। कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते रख दें। अब कलश का मुख ढक्कन से बंद कर दें। ढक्कन में चावल भर दें। नारियल पर लाल कपडा लपेट कर मोली लपेट दें। अब नारियल को कलश पर रखें। अब कलश को उठाकर जौ के पात्र में बीचो बीच रख दें। अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें। “हे सभी देवी देवता और माँ दुर्गा आप सभी नौ दिनों के लिए इस में पधारें।” अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें। धूपबत्ती कलश को दिखाएं। कलश को माला अर्पित करें। कलश को फल मिठाई अर्पित करें। कलश को इत्र समर्पित करें।
कलश स्थापना के बाद माँ दुर्गा की चौकी स्थापित की जाती है।
नवरात्री के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा के लिए एक लकड़ी की चौकी की स्थापना करनी चाहिए। इसको गंगाजल से पवित्र करके इसके ऊपर सुन्दर लाल वस्त्र बिछाना चाहिए। इसको कलश के दायीं और रखना चाहिए। उसके बाद माँ भगवती की धातु की मूर्ति अथवा नवदुर्गा का फ्रेम किया हुआ फोटो स्थापित करना चाहिए। माँ दुर्गा को लाल चुनरी उड़ानी चाहिए। माँ दुर्गा से प्रार्थना करें “हे माँ दुर्गा आप नौ दिन के लिए इस चौकी में विराजिये।” उसके बाद सबसे पहले माँ को दीपक दिखाइए। उसके बाद धूप, फूलमाला, इत्र समर्पित करें। फल, मिठाई अर्पित करें।
नवरात्रि में नौ दिन मां भगवती का व्रत रखने का तथा प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का विशेष महत्व है। हर एक मनोकामना पूरी हो जाती है। सभी कष्टों से छुटकारा दिलाता है।नवरात्री के प्रथम दिन ही अखंड ज्योत जलाई जाती है जो नौ दिन तक जलती रहती है। दीपक के नीचे “चावल” रखने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है तथा “सप्तधान्य” रखने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैमाता की पूजा “लाल रंग के कम्बल” के आसन पर बैठकर करना उत्तम माना गया हैनवरात्रि के प्रतिदिन माता रानी को फूलों का हार चढ़ाना चाहिए। प्रतिदिन घी का दीपक (माता के पूजन हेतु सोने, चाँदी, कांसे के दीपक का उपयोग उत्तम होता है) जलाकर माँ भगवती को मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। मान भगवती को इत्र/अत्तर विशेष प्रिय है।नवरात्री के प्रतिदिन कंडे की धूनी जलाकर उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कपूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा जरूर अर्पित करना चाहिए।मां दुर्गा को प्रतिदिन विशेष भोग लगाया जाता है। किस दिन किस चीज़ का भोग लगाना है ये हम विस्तार में आगे बताएँगे।प्रतिदिन कन्याओं का विशेष पूजन किया जाता है। किस दिन क्या सामग्री गिफ्ट देनी चाहिए ये भी आगे बताएँगे।लक्ष्मी प्राप्ति के लिए नवरात्र मैं पान मैं गुलाब की ७ पंखुरियां रखें तथा मां भगवती को अर्पित कर दें प्रतिदिन इस मन्त्र का 108 बार जप करना चाहिए।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते ।।