भारत के दिल दिल्ली और दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में सुपर बाजार को केन्द्रीय सरकार के उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने 1966 में मार्केट से कालाबाजारी खत्म करने व दिल्ली की जनता को सस्ती एवं उत्तम खाद्य सामग्री मुहैया कराने के लिए, असली एवं सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए और बेरोजगारी दूर करने के लिए ” बिना लाभ – हानि” के उद्देश्य से कनॉट प्लेस मुख्यालय नई दिल्ली में खोला था। सुपर बाजार कर्मचारियों की कड़ी मेहनत से इसकी दिल्ली में 166 शाखाएं, 5 क्षेत्रीय वितरण केन्द्र, 30 मोबाइल वैन, नोएडा में 5 शाखाएं व दिल्ली की सभी अस्पतालों में दवाई की दुकानें खोलीं थी। लेकिन दुर्भाग्यवश 2002 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने सुपर बाजार प्रबंध पक्ष के भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिए पुर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार के आदेश पर तत्कालीन केन्द्रीय रजिस्ट्रार आफ मल्टी स्टेट को – आपरेटिव सोसायटी ने सुपर बाजार गलत तरीके से 5 जुलाई 2002 में बन्द कर दिया था जबकि 13 नवंबर 2001 को पूर्व केंद्रीय रजिस्ट्रार श्री करतार सिंह भौंरिया आईएएस ने श्री बी. विक्रम आईएएस जांच अधिकारी द्वारा सेक्शन 69 एमएससी एक्ट 1984 के तहत कराई गई अनियमितताओं भ्रष्टाचार की जांच के बाद प्रबंध पक्ष के अधिकारियों के भ्रष्टाचार में लिप्त पाये जाने पर 18.37 करोड़ रुपये 18% ब्याज सहित वसुली के आदेश दिए थे।
2002 में सुपर बाजार बन्द करते समय केंद्र सरकार ने समस्त 2065 कर्मचारियों के लिए 44.20 करोड़ वीएसएस पैकेज भी दिया था।
करीब 1000 कर्मचारियों ने तत्कालीन सरकार द्वारा दिया गया आर्थिक वीएएस पैकेज ले लिया। लेकिन 1030 कर्मचारी की नौकरी अभी 8-10 साल ही हुई थी उनके व उनके परिवार के सामने जीवन यापन – की गंभीर समस्या आ गई। इसलिए 1030 कर्मचारियों की रोजी-रोटी बचाने के लिए सुपर बाजार कर्मचारी दलित संघ ने दिल्ली हाईकोर्ट में रिटें दाखिल की और पैरवी की थी। हाईकोर्ट ने पैरवी के दौरान तत्कालीन केन्द्रीय सरकार द्वारा सुपर बाजार बन्द करने के निर्णय को गलत माना लेकिन तत्कालीन केन्द्रीय सरकार व दिल्ली सरकार व अन्य कोई पार्टी सुपर बाजार चलाने में इच्छुक नहीं थी इसलिए आर्थिक आधार पर रिटें खारिज कर दी थी। संघ ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) फाईल की। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त 2004 को सुपर बाजार चलाने के लिए इच्छुक पार्टी लाने के लिए दलित संघ को आदेश दिए । दलित संघ सुपर बाजार चलाने के लिए पहले इंडियन पोटाश लिमिटेड आईपीएल इंडियन लेबर कोआपरेटिव सोसाइटी आईएलसी और बाद में राइटर्स एण्ड पब्लिशर्स दैनिक भास्कर ग्रुप सुपर बाजार चलाने को इच्छुक पार्टी लाया और सुपर बाजार पुनरुत्थान प्लान फाईल किए । राइटर्स एण्ड पब्लिशर्स ने 1030 कर्मचारियों को नौकरी पर लेने के साथ-साथ कर्मचारियों की डिमांड एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 16 मई 2003 से 31 दिसंबर 2007 तक 54.31 करोड़ वेतन-भत्ते का भुगतान करने की अंडरटेकिंग भी दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों के हितों में व तमाम कानूनी पहलुओं की जांच-पड़ताल करने के बाद 26 फरवरी 2009 को सुपर बाजार चलाने के लिए डब्ल्यूपीएल को आदेश दिया। डब्ल्यूपीएल ने समस्त 1030 कर्मचारियों को 4 अक्टूबर 2009 को नौकरी पर रखा और 2010 में 19.79 करोड़ लिक्विडेटर द्वारा 7.93 करोड़ स्वयं कर्मचारियों को दिया, + 8.07 करोड़ कर्मचारियों के पीएफ खातों में जमा करने के लिए पीएफ विभाग में जमा कराया। 14.84 करोड़ बांटने के लिए डब्ल्यूपीएल एवं कर्मचारियों के बीच कुछ असहमति होने के कारण सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराया।
डब्ल्यूपीएल ने 1030 कर्मचारियों को 05 अक्टूबर 2009 को नौकरी पर रखा और 05 अक्टूबर 2012 को नौकरी से निकाल दिया। कर्मचारी पुन: सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान डब्ल्यूपीएल ने सुपर बाजार चलाने से बैकआउट कर लिया । इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने लिक्विडेटर नियुक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा 14.84 + 8.07 करोड़ पीएफ आफिस में जमा पैसों को डब्ल्यूपीएल को वापिस देने व लिक्विडेटर को 6 महीनों के अन्दर सुपर बाजार की प्रोपर्टी आदि लिक्विडेट करने के आदेश दिए
लिक्विडेटर ऐ के मिश्रा ने सुपर बाजार की कुछ प्रोपर्टी मिलीभगत से 28 करोड़ में बेची। और 17 मार्च 2018 क्लेम अनुसार कर्मचारियों को 5 अक्टूबर 2012 के आधार पर सेवानिवृत्ति भुगतान करने के नोटिस निकाले लेकिन लिक्विडेटर ने पैसे लेकर सिर्फ 32 कर्मचारियों को ही भुगतान किया अन्य कर्मचारियों को पैसे ना देने के कारण सेवानिवृत्ति भुगतान नहीं किया। लिक्विडेटर के विरूद्ध सीबीआई जाँच पेंडिंग है अन्य लिक्विडेटर एस एस ठाकुर ने 16 सितंबर 2020 अनुसार समस्त कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति भुगतान 16 मई 2003 के आधार पर देने का नोटिस दिया जबकि समस्त 1030 कर्मचारियों ने 4 अक्टूबर 2012 तक नौकरी की है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 मार्च 2020 को सुपर बाजार कर्मचारियों को अपने हकों के लिए दिल्ली हाईकोर्ट जाने के आदेश दिए। कर्मचारी नवम्बर 2020 से दिल्ली हाईकोर्ट में हैं। कर्मचारी 2002 से ही हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में अपने हकों के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन 22 सालों बाद अभी तक इन्साफ़ नहीं मिला है जिससे दलित कर्मचारी , विधवा कर्मचारी, सभी गरीब बेरोजगार कर्मचारी एवं आश्रित जन भुखों मरने को विवश हैं पिछले 22 सालों से इंसाफ के लिए लगातार लडते – लडते अनेकों कर्मचारियों की मौत हो चुकी है कुछ मरने की कगार पर हैं।
दिनांक 10 मार्च 2023 को श्री रोहित कुमार सिंह सचिव उपभोक्ता मामले मंत्रालय की अध्यक्षता में विनित माथुर संयुक्त सचिव, अमित जैन डिप्टी सेक्रेटरी को- आपरेशन व पी सी प्रतिहारी लिक्विडेटर व जगदीश चौधरी अध्यक्ष सुपर बाजार कर्मचारी दलित संघ की ज्वाइंट मिटिंग हुई जिसमें जगदीश चौधरी ने उचित साक्ष्यों, तर्कों व वास्तविक प्रमाणिक कागजातों को मिटिंग अध्यक्ष सचिव उपभोक्ता मामले मंत्रालय के समक्ष रखा कि सभी 1030 कर्मचारियों ने 2012 तक नौकरी की है लेकिन सुपर बाजार लिक्विडेटर सुपर बाजार सर्विस रूल नियमानुसार सेवानिवृत्ति भुगतान नहीं कर रहे हैं जिस पर मिटिंग अध्यक्ष ने सहमति जताई और एक विस्तृत रिपोर्ट लिक्विडेटर से मांगी है। लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं मिली है। दलित संघ ने महामहिम राष्ट्रपति जी से 12 जून, 2023 को समस्त कर्मचारियों को रिटायर्मेंट ड्यूज दिलाने के लिए अपील की। राष्ट्रपति सचिवालय ने उपभोक्ता मामले मंत्रालय सचिव को लिखा लेकिन उपभोक्ता मामले मंत्रालय सचिव ने दिल्ली हाईकोर्ट में पेंडिंग केस का हवाला देते हुए रिटायर्मेंट ड्यूज नहीं दिए हैं कर्मचारियों पिछले 21 सालों से इंसाफ के लिए संघर्ष कर रहे हैं सैकड़ों कर्मचारियों की मौत हो चुकी है अन्य भी मरने की कगार पर हैं लेकिन इंसाफ़ नहीं मिला है
लेखक : – जगदीश चौधरी
अध्यक्ष : सुपर बाजार कर्मचारी दलित संघ (रजि)
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