वीर सूर्या टाइम्स :- बीमार व्यक्ति के इलाज में डॉक्टर के साथ ही फार्मेसीस्टो का बड़ा ही महत्वपूर्ण योगदान होता है डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाइयों को मरीज किस तरह से सेवन करेंगे इसके लिए फार्मेसीस्ट ही बेहतर जानकारी मरीजों को उपलब्ध कराते हैं इन्हीं फार्मेसीस्टो के विशेष योगदान को ध्यान में रखते हुए 25 सितंबर को दुनिया भर में वर्ल्ड फार्मेसी दिवस मनाया जाता है इस दिन को मनाने की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल फेडरेशन एफ आई पी के द्वारा इस्तबुल तुर्की में की गई थी साल 1992 में 25 सितंबर को ही अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल की स्थापना की गई थी जिसकी वजह से हर साल 25 सितंबर को विश्व फार्मेसी दिवस मनाया जाता है सन 2003 की थीम स्वास्थ प्रणाली को मजबूत करने में फार्मेसिस्ट (भेषजिक) का योगदान रखी गई है ताकि स्वास्थ्य संबंधित समस्या को ध्यान में रखते हुए फार्मेसीस्टो के योगदान को समझाया सके । देश में आई वैश्विक कोरोना महामारी के रूप में विपत्ति के समय फार्मासिस्टों ने स्वास्थ्य प्रणाली को एसंतुलित नहीं होने दिया तथा वैक्सीन के खोज और निर्माण में विशेष योगदान दिया और देश को इस विषम परिस्थिति से उभरने में अपना सहयोग दिया भारतवर्ष में सदैव से ही औषधि जड़ी बूटियां से परिपूर्ण रहा है अनादिकाल से ही हमारे पूर्वज सघन जंगलों और पहाड़ों में विचरण करके इन जड़ी बूटियां को एकत्रित करके इन्हें औषधि का रूप देकर मानव की सेवा किया करते थे जिन्हें हम वेदराज कहकर सम्मान देते थे कालांतर में इन औषधीयो का नवीनीकरण हुआ तथा यह अंग्रेजी दवा के रूप में आने लगी जिन्हें हम आज एलोपैथिक दवाइयां कहते हैं आज के समय में यही काम एक औषधि कारक फार्मासिस्ट करता है वह विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियां एकत्रित कर उन्हें दवा के रूप में मानव सेवा के लिए प्रयुक्त करवाता है आज का औषधिकारक फार्मासिस्ट इस संबंध में विशेष अनुभव रखता है एक फार्मासिस्ट को दवाइयो के विषय में पूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है आज वह दवा बनाने वाली कंपनी के साथ-साथ रोगी के भी संपर्क में रहता है फार्मासिस्ट को यह ज्ञात है कि इस दवा की किसी दूसरी दवा के साथ क्या प्रतिक्रिया होती है उसे दवा से होने वाले लाभ व हानि तथा इसे कम से कम कीमत पर कैसे रोगियों तक पहुंचाया जाए जिससे कि दवा निम्न से निम्न वर्ग के रोगियों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें आज का फार्मेसी विभाग स्वास्थ्य विभाग की रीड की हड्डी है बगैर फार्मेसी विभाग के स्वास्थ्य विभाग अधूरा है आज का फार्मेसी डॉक्टर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है तथा किसी कारणवश यदि कोई समस्या उत्पन्न होती है तो वह तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके उसको दूर करने की कोशिश करता है आज हम फार्मासिस्ट अपने प्रशासन एवं सरकार से यह उम्मीद करते हैं कि फार्मासिस्टो के कार्य अधिकता को देखते हुए फार्मेसीस्टो को भी सम्मान दिया जाए ।
लेखक :
अशोक गुप्ता,, इंचार्ज फार्मेसी विभाग स्वामी दयानंद हॉस्पिटल दिलशाद गार्डन (दिल्ली नगर निगम) दिल्ली 95