डॉ रवि महिंद्रा (वीर सूर्या टाइम्स )
भारत भूमि पर समय- समय पर कई महान संत पैदा हुए हैं; जिन्होंने अपने प्रवचनों और विचारों से समाज को बदलने का काम किया| जिनमें गुरु नानक, कबीर दास, रविदास, संत गाडगे आदि महान संत शामिल हैं| इसी कड़ी में संत दुर्बल नाथ भी शामिल हैं| 19वीं शताब्दी में भारतीय समाज बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा था| इस बदलाव के दौर में समाज में परिवर्तन हो रहा था| इसके बावजूद भी समाज में अंधविश्वास, छुआछूत, जातिगत- भेदभाव,अशिक्षा आदि समस्याएं समाज में मौजूद थी| इसी दौर में 1861 ई•में राजस्थान के अलवर जिले के विचगाँव में खटीक जाति में संत दुर्बल नाथ का जन्म हुआ|
इनके पिता जी का नाम फतुजी व माता जी का नाम रूपो देवी था| बचपन में संत दुर्बल नाथ जी का नाम कल्याण था| सामाजिक व्यवस्था व जातिय- भेदभाव के कारण संत दुर्बल नाथ जी शिक्षा ग्रहण न कर सके, क्योंकि खटीक जाति को भी उस समय निम्न जाति समझा जाता था| शिक्षा ग्रहण न करने के कारण दुर्बल नाथ जी को भी अपने पिता जी के पैतृक व्यवसाय भेड़ बकरी पालन में हाथ बटाना पड़ता था| जब दुर्बल नाथ जी भेड़- बकरियों को चराने जंगल में जाते थे| उस समय को साधना करके इस्तेमाल करते थे|दुर्बल नाथ जी बचपन से ही जिज्ञासु व गंभीर प्रवर्ती के थे| जो की समय के गहरी साधना में तब्दील होती चली गई|
पारिवारिक मोह- माया से उनका मन ऊपर उठ गया था| समय की नजाकत को देखते हुए व दुर्बल नाथ जी के बदलते व्यवहार को देखते हुए उनकी शादी करने का फैसला घरवालों ने ले लिया| दुर्बल नाथ जी पारिवारिक जीवन मे नहीं आना चाहते थे, लेकिन घरवालों के बार- बार आग्रह करने पर उनकी शादी मानवती जी से कर दी गई| लेकिन शादी के बाद भी उनकी जिज्ञासा व साधना समय के साथ बढ़ती गई| इसी बढ़ती जिज्ञासा के साथ भी वे पारिवारिक जीवन मे रहते हुए मानव उत्थान के लिए कार्य करते रहे| इसी बीच पारिवारिक जीवन को छोड़कर संत दुर्बल नाथ जी घर से निकल कर श्यामदा आश्रम (अलवर) चले गए| वहीं पर दुर्बल नाथ जी ने अपने गुरु संत गरीब नाथ जी महाराज की देख- रेख में योग साधना व जीवन- मरण के रहस्य के बारे में शिक्षा- दीक्षा ग्रहण की| शिक्षा- दीक्षा ग्रहण करने के पश्चात संत दुर्बल नाथ जी समाज नाथ जी समाज – उत्थान के कार्य में लग गए| अपनी वाणियों व सतसंग के माध्यम से गुरु जी समाज में जागृति लाने का काम करते रहे| धीरे- धीरे जब उनकी ख्याति बढ़ने लगी तो वो राजस्थान के अलावा दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, पंजाब, उत्तर- प्रदेश आदि राज्यों में घूम- घूम कर अपनी वाणियों व सतसंग के माध्यम से लोगों के जीवन को बदल रहे थे| दुर्बल नाथ जी अपने सतसंग में मानव कल्याण की बात करते थे| वे सब लोगों के बीच प्रेम- भाई चारे का संदेश देते थे|
जाति- भेदभाव के विरुद्ध लोगों को जागरूक करते थे| समानता पे आधारित समाज की बात करते थे| वे ऐसा समाज चाहते थे; जहाँ सब लोग आपस में मिलकर रहें; एक- दूसरे से प्रेम करें| जाति के आधार पर किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव न हो| वे अपने सतसंग में मानवतावादी समाज की स्थापना पर बल देते थे| दुर्बल नाथ जी को सामाजिक व्यवस्था के कारण औपचारिक शिक्षा न मिल सकी| इसके बावजूद वे अपने सतसंगों में समाज को शिक्षा ग्रहण करने को प्रोत्साहित करते थे| क्योंकि उस समय देश में शिक्षा का प्रचार- प्रसार ऊँच जातियों में हो रहा था| शिक्षा ग्रहण करके ही वंचित समाज आगे बढ़ सकता था|
संत दुर्बल नाथ अपने प्रवचनों में नशे से दूर रहने की बात भी करते थे| उनका कहना था की किसी भी तरह का नशा चाहे वो शराब का हो या किसी अन्य मादक पदार्थ हो; वो मनुष्य की बुद्धि को भृष्ट कर देता है| उसकी सोचने- समझने की क्षमता क्षीण हो जाति है, मनुष्य विवेकहीन हो जाता है| इसलिए मनुष्य को नशे से दूर रहना चाहिए| संत दुर्बल नाथ जी अपनी वाणियों में पर्यावरण संरक्षण की भी बात करते हैं| वे कहते थे की मनुष्य को प्रकृति के साथ तालमेल बना कर रखना चाहिए| प्रकृति में इतनी क्षमता है की वो मनुष्य का भरण- पोषण कर सकती है| मनुष्यओं को जीव- जंतुओं की हत्या नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उनके अंदर भी जीवन होता है| जीव हत्या को वो पाप मानते थे| वे कहते थे की हमें जीव- जंतुओं के प्रति दया- भाव रखनी चाहिए| तभी पर्यावरण के साथ संतुलन बनेगा| संत दुर्बल नाथ जी ने अपने समय में समाज में प्रचलित बाल- विवाह का भी विरोध किया था| वे कहते थे की महिलाओँ को भी शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए; ताकि वे समाज में बराबरी का दर्जा हसिल कर सके|
इस तरह से संत दुर्बल नाथ ताउम्र समाज में प्रचलित कुरीतियों का विरोध करते रहे| अपनी वाणियों और सतसंगों के माध्यम से लोगों की जागरूक करते रहे| एक मानवतावादी समाज की स्थापना मे लगे रहे| जहाँ सब सम्मान के साथ रहें और किसी भी तरह का भेद- भाव किसी के साथ न हो|
पिछले वर्ष भारत सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय ने वंचित समाज के संतों महापुरुषों की सूची में संत दुर्बल नाथ का नाम संत रविदास, कबीर दास, डॉ अम्बेडकर, डॉ संत जी लाड व संत गाडगे आदि के साथ शामिल किया| आज भारत, एशिया, यूरोप व अमेरिका आदि में संत दुर्बल नाथ जी के करोड़ों अनुयायी हैं|
इसी 25 सितंबर, 2023 को उनकी जयंती है; आओ संत दुर्बल नाथ जी के बताये मार्ग पर चलकर एक मानवतावादी समाज की स्थापना करें!
RNI No. : DELHIN/2012/46367