वट सावित्री पूजा के दिन भूलकर भी न तोड़ें बरगद के डालियां

मनीष सूर्यवंशी (वीर सूर्या टाइम्स )
पंचांग अनुसार वट सावित्री पूजा 6 जून दिन गुरुवार को मनाया जाएगा पूजन करने का अभिजित मुहूर्त 11:52 से दोपहर 12:48 तक स्कन्द पुराण के अनुसार इस व्रत को ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है, निर्णयामृतादि के अनुसार यह व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए ज्‍येष्ठ माह की कृष्‍ण पक्ष की अमावस्या को रखती हैं। कहा जाता है जिस तरह से सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज के हाथों से छीन कर लाई थी, उसी तरह इस व्रत को करने से पति पर आने वाले सारे संकट दूर हो जाते हैं। इस दिन वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा और कथा सुनी जाती है। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्विद महामण्डलेश्वर स्वामी वेदमूर्तिनंद सरस्वती जी ने बताया कि मूले ब्रम्हा त्वचा विष्णु कावेरी शिव शंकर पत्र – पत्र सर्व देवानाम बरगद वृक्ष में मूल में ब्रह्मा, त्वचा में विष्‍णु और टहनी में शंकर व पत्ते पत्ते में सभी देवताओं का वास माना जाता है । इस दिन सुहागवती महिलाएं बांस के पंखे से हवा करें
व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्‍नान करके नए कपड़े पहनें और सोलह श्रृंगार करें। इसके बाद वट वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री व सत्यावान की मूर्ति स्‍थापित करें। इन्हें धूप, दीप, रोली और ‌सिंदूर से पूजन करके लाल कपड़ा अर्पित करें। बांस के पंखे से इन्हें हवा भी करें। इसके बाद बरगद के पत्ते को अपने बालों में लगाना ना भूलें। रोली को बरगद यानि वट वृक्ष से बांधकर 5, 11, 21, 51 या 108 बार परिक्रमा करें और कथा सुनें।
चने को प्रसाद के रूप में चढ़ाएं
इस व्रत में चने को प्रसाद में रूप में चढ़ाने का नियम है। कथा के अनुसार जब यमराज सत्वान के प्राण ले जाने लगे तो सा‌‌वित्री भी उनके पीछे पीछे चलने लगी। ऐसे में यम ने उन्हें तीन वरदान मांगने को कहा। सा‌वित्री ने एक वरदान में सौ पुत्रों की माता बनना मांगा और जब यम ने उन्हें ये वरदान दिया तो सावित्री ने कहा कि वे पतिव्रता स्‍त्री है और बिना पति के मां नहीं बन सकती। यमराज को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने चने के रूप में सत्यवान के प्राण दे दिए। सा‌वित्री ने सत्यवान के मुंह में चना रखकर फूंक दिया, जिससे वे जीवित हो गए। तभी से इस व्रत में चने का प्रसाद चढ़ाने का नियम है। तीन बातों का विशेष ध्यान रखें भूलकर बरगद का टहनी ना तोड़ें इससे आपको पूजा का फल नहीं मील सकता है , सौभाग्यवती स्त्रियां इस दिन सफेद व काला साड़ी न पहनें व परिक्रमा करते समय अपना पैर दुसरों को न लगने दें वरना आपकी पूजा असफल हो सकती है । इस यथा शक्ति जल सेवा फल सेवा आदि करने से अक्षय पूज्य का लाभ होता है इस दिन बरगद का पेड़ लगाने से पुरे साल घर में खुशहाली बनी रहती है

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